A creation very dear to me and close to my heart...
भाग दौड़ से दूर कही आराम ही आराम हो,
मन मेरा मुझ तक ठहरे, कुछ और नहीं इसे ध्यान हो!
कागज़ कलम भी संधि कर चले हो विश्राम को,
अध्यापक भी भूल चुके हो दिए हुए गृहकार्य को !
मित्रो की कोई भीड़ न हो, बस साथ मेरे एकांत हो!
मन ही मेरा सखा रहे, बस मेरी मुझसे बात हो!
इंतेज़ार न हो उनका, न उनकी कोई बात हो!
आज न टूटे दिल मेरा, न अश्रुओ की धर हो!
इस विशाल जीवन के कुछ क्षणों पर अंकित मेरा नाम हो,
कल परसों की चिंता न हो, न आज कोई काम हो!
औपचारिकताओ से घिरे हुए, झूठे बंधन में बंधे हुए,
अपने धुन्दले व्यक्तित्व से, फिर से मेरी पहचान हो!
ऐसी भी एक शाम हो, जो सिर्फ मेरे नाम हो...
Very well written. The content is original and powerful and there is flow. Well done, keep it up!
ReplyDeleteWow, I am in love with the title itself:)
ReplyDeleteThanks Chaitanya and Saru for your appreciation.
ReplyDeleteBtw Chaitanya, I still remember your CON article. It was awesome.